वॉशिंगटन: कुछ अमेरिकी विशेषज्ञों की राय है कि बीजिंग की दूरी तक पहुंचने की क्षमता रखने वाले अग्नि 5 प्रक्षेपास्त्र के सफल प्रक्षेपण के बाद एशिया में, खास कर भारत और चीन के बीच सुरक्षा परिदृश्य में बदलाव की संभावना नहीं है।
बहरहाल, विशेषज्ञ मानते हैं कि अग्नि 5 चीन के खिलाफ भारत की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। रक्षा मंत्रालय में दक्षिण एशियाई मामलों के पूर्व निदेशक क्रिस्टोफर क्लैरे ने ग्लोबल सिक्योरिटी न्यूजवायर से कहा ‘‘अग्नि 5 का अस्तित्व भारत के किसी भी विरोधी की शस्त्र संबंधी जरूरत में कोई परिवर्तन नहीं करता। चीन के पास पहले ही लंबी दूरी के प्रक्षेपास्त्र हैं। पाकिस्तान अपनी वर्तमान प्रणालियों की मदद से भारत के वाणिज्यिक और राजनीतिक केंद्रों को खतरा पैदा कर सकता है।’’
क्लैरे इन दिनों एक अमेरिकी विचार समूह ‘‘आरएएनडी कॉरपोरेशन’’ से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा ‘‘लंबे समय से भारत के रणनीतिक योजनाकारों को चीन के राजनीतिक एवं आर्थिक केद्रों के मद्देनजर एक परमाणु शस्त्र तैयार करने के लिए व्यापक योजनाएं बनानी पड़ीं या फिर परमाणु संघर्ष होने की स्थिति में ल्हासा तिब्बत पर खतरे के बादल मंडराने की आशंका को लेकर उसे शांत रहना पड़ा।’’
स्टिमसन सेंटर के सह संस्थापक माइकल क्रेपॉन ने कहा कि अग्नि 5 मिसाइल वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की गश्त के दौरान उधर से होने वाली घुसपैठ की घटनाओं पर रोक नहीं लगा पाएगी। ग्लोबल सिक्योरिटी न्यूज वायर ने क्रेपॉन को यह कहते हुए उद्धृत किया है ‘‘बीजिंग भारत के साथ आपसी सहमति से परमाणु प्रतिरोधक कायम रखने के रिश्ते कदापि नहीं रखना चाहेगा।’’